समय के अनुसार करें बदलाव पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल

सोनभद्र। शास्त्रीय गायक पद्मश्री पंडित छन्नूलाल मिश्र ने जनपद मुख्यालय के निकट रौप गांव आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि काशी के विकास के साथ ही इस गुप्त काशी का भी विकास जरूरी है यहाँ के संगीत शास्त्रीयो को भी हमे आप को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि हमारी संस्कृति ही असली पहचान है जिसको जन्म देता है यह मधुर संगीत इस जनपद में भी कलाओ का भंडार है बस इसको आगे बढ़ाने की आवश्यकता हैं किराना घराना से ताल्लुक रखने वाले,हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा श्री मिश्र को पद्मविभूषण के लिये चुना गया है।

उन्होंने बताया कि इस सम्मान को अपने गुरू भगवान शंकर और देशवासियों को समर्पित करते हैं। उन्हें 2010 में पद्मश्री से नवाजा गया था। श्री मिश्र ने कहा की प्रभु की कृपा और सभी लोगों की शुभकामनाओं से यह सम्मान हमको मिला है। संगीत के अपने सुनहरे सफर में कई सम्मान पा चुके मिश्र ने इसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण सम्मान बताया उन्होंने कहा यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद सिर्फ भारत रत्न है। यह भारत सरकार का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है प्रसन्नता हुई कि भारत सरकार ने हमारी कला को पहचाना यह हमको नहीं मिला बल्कि हमारे उस्ताद हमारे गुरू को मिला है हम काशी में हैं और उन्हीं को समर्पित करते हैं सब देशवासी खुश रहें और देश को सुरक्षित रखें यही हमारी विनती है।

श्री मिश्र ने कहा की संगीत के प्रति सरकार का रवैया सकारात्मक है उन्होंने बनारस की माटी को अपनी जीवन संजीवनी बताते हुए कहा काशी में हम ही हैं जो इस उम्र में भी गा रहे हैं। हमें बाहर से अमेरिका मुंबई कोलकाता से बुलावा आया लेकिन हमने काशी कभी नहीं छोड़ा चना चबैनी गंगजल जो पुरवै करतार काशी कभी ना छोड़िये विश्वनाथ दरबार। कहीं कोई अधूरी ख्वाहिश रह गई है यह पूछने पर श्री मिश्र ने कहा इलाही कोई तमन्ना नहीं जमाने में मैंने सारी उम्र गुजारी है अपने गाने में। हमें 70 प्रकार का संगीत पता है सातों कांड रामायण कंठस्थ है।गीता वेद, उपनिषद सभी सुना सकते हैं। यह गुरू की कृपा है।और क्या चाहिये। उन्होंने बनारस की संगीत धरोहरों को सहेजने के लिये एक कला केंद्र स्थापित करने की अपील की।उन्होंने कहा बनारस की गायकी अधूरी रह रही है क्योंकि उसके लिये कोई ऐसी सिखाने की जगह नहीं है जहां उसका प्रचार प्रसार हो। शास्त्रीय संगीत का शास्त्र के अनुसार प्रचार हो उससे विपरीत नहीं। अभिजात यानी सिर्फ घराना संगीत नहीं शास्त्रीय संगीत भी सिखाया जाये। काशी के कलाकारों के साथ साथ गुप्त काशी के कलाकारो का भी भला हो उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया जाये जो आगे नहीं बढ़ सके उन्हें आगे बढाने का प्रयास हो। इस मौके पर उमा नाथ मिश्र संगीत अध्यापक रमानंद मिश्रा सर्वेश कुमार मिश्र भाजपा संगीत प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सुशील मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे।

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