प्रभारी मंत्री नहीं गिना पाए सरकार की उपलब्धियां, पत्रकारों ने किया बहिष्कार

सोनभद्र: प्रदेश सरकार के चार साल पूरे होने पर शुक्रवार को उपलब्धियां गिनाने पहुंचे, प्रभारी मंत्री डा. सतीशचंद्र द्विवेदी को पत्रकारों के प्रेस कांफ्रेंस के बहिष्कार के कारण बगैर उपलब्धि गिनाए वापस लौटना पड़ा.

दरअसल, इंस्पेक्टर राबटर्सगंज अविनाश सिन्हा के दुर्व्यवहार से खफा पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के पास मंत्री के लौटने तक धरना भी दिया. डीएम अभिषेक सिंह और एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने जांच का आश्वासन देकर धरना समाप्त कराना चाहा लेकिन पत्रकार इंस्पेक्टर को तत्काल हटाने की मांग पर अड़े रहे. सदर विधायक भूपेश चौबे ने भी कार्रवाई करवाने का आश्वासन देकर मामला शांत कराना चाहा लेकिन पत्रकार प्रेस कांफेंस में जाने के लिए तैयार नहीं हुए.

बता दें कि डायट परिसर में सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में समारोह का आयोजन किया गया था. मुख्य अतिथि के रूप में प्रभारी मंत्री लोगों को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान कोन इलाके में छह माह पूर्व हुई हत्या के मामले पीड़ित दंपती प्रभारी मंत्री से गुहार लगाने पहुंचे. मंच और बगल में स्थित पुलिस सहायता केंद्र के बीच जैसे ही दंपती पहुंचे, उन पर पुलिस की नजर पड़ गई और उन्हें वहीं रोक लिया गया.

प्रभारी मंत्री से मिलवाने की गुहार लगाने पर वहां मौजूद इंस्पेक्टर राबटर्सगंज अविनाश सिन्हा अपने सहकर्मियों के साथ पीड़ितों को खींचकर ले जाने लगे. पत्रकारों ने जब दंपती से मामला जानना चाहा तो इंस्पेक्टर उनसे भी उलझ गए और खबर चलाने पर देख लेने तक की धमकी दे डाली. पुलिस सहायता केंद्र प्रभारी के रूप में मौजूद सीओ राजकुमार तिवारी से जब पत्रकारों ने इस पर एतराज जताया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए छोटा-मोटा मामला बता कन्नी काट लिये. इससे खफा पत्रकार इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए वहीं धरने पर बैठ गए. सदर विधायक भूपेश चौबे भी पत्रकारों के साथ कुछ देर के लिए धरनास्थल पर ही बैठ गए और प्रभारी मंत्री से वार्ता कर तत्काल कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.

जिससे नाराज पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट में प्रभारी मंत्री की तरफ से उपलब्धियां गिनाने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस का बहिष्कार कर दिया और परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के साथ धरने पर बैठ गए. मामले को तूल पकड़ता देख एडीएम योगेंद्र बहादुर सिंह ने किसी तरह मामले को शांत कराना चाहा लेकिन पत्रकार नहीं माने. प्रेस वार्ता में किसी भी पत्रकार को शिरकत न करते देख डीएम-एसपी धरनास्थल पर पहुंचे और जांच कराने की बात कहकर प्रेस कांफ्रेस में चलने की अपील की. लेकिन पत्रकार तत्काल कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे.

वहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासन और पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद पत्रकार मंत्री की प्रेस वार्ता में नही गए. जिससे मजबूरन मंत्री को बिना सरकार की उपलब्धियां गिनाए ही वापस लौटना पड़ा. वहीं, पत्रकारों से कोतवाल के दुर्व्यवहार किये जाने की जानकारी प्रभारी मंत्री सहित डीएम और एसपी के होने के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं होने से समाजवादी पार्टी सहित कई पार्टी के नेताओं ने सवाल उठाए.

पत्रकारों को मनाने पहुंचे डीएम अभिषेक सिंह को सूचना विभाग के उदासीन रवैए की जानकारी से रूबरू होना पड़ा. पत्रकारों का कहना था कि सूचना विभाग के जिम्मेदारों द्वारा भेदभाव किया जा रहा है.सरकार की उपलब्धि से जुड़े समारोह में एक प्रेस दीर्घा तक की व्यवस्था नहीं की गई.

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार तिवारी, विनोद पांडेय, रवींद्र केशरी, ब्रजेश पाठक, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तर प्रदेश के जिलाध्यक्ष ब्रजेश शुक्ल, रामप्रसाद यादव, अंशुमान पांडेय, अब्दुल्लाह, कौशलेन्द्र पांडेय, शांतनु विश्वास, अनूप श्रीवास्तव, जितेंद्र गुप्ता, सचिन गुप्ता मोनू, विनय कुमार सिंह, मुनिमहेश शुक्ला, गिरीश पांडेय, अमित मिश्रा, मोइनुद्दीन मिंटू, आनंद चौबे, धर्मेंद्र कुमार पांडेय, मनमोहन शुक्ला, पूर्वांचल मीडिया क्लब के जिलाध्यक्ष विवेक पांडेय, एके गुप्ता, ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी, मनोज सिंह राणा, अरविंद तिवारी, अशोक विश्वकर्मा, दिनेश पांडेय, चिंता पांडेय, प्रभात सिंह चंदेल, कमाल अहमद सहित तमाम पत्रकार मौजूद रहे.

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