जिले में 10 अगस्त से शुरू होगा बाल स्वास्थ्य पोषण माह अभियान
O 9 माह से 5 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों को दी जाएगी विटामिन ए की खुराक
O कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शत-प्रतिशत बच्चों को टीकाकरण से किया जाएगा आच्छादित
सोनभद्र 6 अगस्त 2020। जनपद में बाल स्वास्थ्य पोषण माह के प्रथम चरण का अभियान 10 अगस्त से शुरू होगा जो 1 माह तक चलाया जाएगा । इस अभियान के दौरान कोरोना वायरस कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 9 माह से लेकर 5 वर्ष आयु तक के बच्चों को विटामिन ए की खुराक से शत-प्रतिशत आच्छादित किया जाएगा । इसके लिए महानिदेशक परिवार कल्याण ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र जारी कर निर्देश दे दिया है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एस के उपाध्याय ने बताया कि बाल स्वास्थ्य पोषण के अंतर्गत 9 माह से लेकर 5 वर्ष तक आयु वर्ग वाले बच्चों को विटामिन ए के कवरेज को बढ़ाना है और कुपोषित बच्चों का वजन, पहचान तथा प्रबंधन करने के साथ ही नियमित टीकाकरण के दौरान बच्चों को शत-प्रतिशत टीकाकरण से आच्छादित किया जाएगा । उन्होंने बताया कि 60% बच्चों में विटामिन ए की कमी का खतरा होता है जो बच्चों में बीमारी एवं मृत्यु दर की संभावनाओं को बढ़ाता है। ऐसे में 9 माह से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को 1 वर्ष में दो बार विटामिन ए की निर्धारित खुराक दी जाती है । इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि महानिदेशक परिवार कल्याण द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में जिले में 10 अगस्त से बाल स्वास्थ्य पोषण माह अभियान का शुभारंभ होगा जो 1 माह तक चलेगा । इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी तैयारियां पूर्ण कर ली है और स्वास्थ्य कर्मियों समेत आशा, आंगनबाड़ी व एएनएम को निर्देश दे दिया गया है । इस पोषण माह के दौरान कोरोना वायरस कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 9 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए की खुराक देने का कार्य किया जाएगा।इसके अलावा लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी जिससे लोग इस महामारी की चपेट में न आने पाए उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 दिसंबर माह में चलाए गए बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान 9 माह से 5 वर्ष आयु वर्ग के 2,33,533 बच्चों को टीकाकरण से आच्छादित किया जा चुका है । उन्होंने कहा कि बाल स्वास्थ्य पोषण माह का उद्देश्य 9 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण करने के साथ ड्रॉप आउट बच्चों को चिन्हित कर प्रतिरक्षित करना है।