बिहार में ‘नल जल’ नहीं, ‘नल धन’ योजना है -तेजस्वी यादव

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता तारकिशोर प्रसाद (Deputy CM Tarkishore Prasad) के परिजनों को 53 करोड़ रुपये का ठेका दिए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है. गुरुवार को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री तारकिशोर को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी पर जमकर बरसे और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.

तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार जी का “हर घर नल जल” योजना दरअसल निजी धनोपार्जन योजना बन गया है. इस योजना ने भ्रष्टाचार की सारी पराकाष्ठा पार कर दी है. उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद जी ने अपनी बहु, दामाद और साले को कटिहार में ठेका दिया.

यह “नल जल योजना” नहीं बल्कि “नल धन योजना” बन चुकी है. भले ही नल जल योजना में धरातल पर आजतक ग़रीबों को नल से जल नहीं मिला लेकिन सत्ताधारी दलों के मंत्री, विधायक, नेताओं के लिए ये ‘नल धन योजना’ ज़रूर बन गया. काग़ज पर नल खोलो और अपनी तिजोरी भरो. पानी टंकी का ढहना, पाइप, नल इत्यादि का उखड़ना हरेक पंचायत/वार्ड की कहानी है.

हमारी पार्टी की ओर से इस संदर्भ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फ़रवरी 2021 में पत्र भी लिखा गया था लेकिन हमेशा की भाँति मुख्यमंत्री जी ने कोई कारवाई नहीं की. हमारी पार्टी की कटिहार जिला इकाई ने अगस्त 2020 में ही इस घोटाले का पर्दाफ़ाश और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर की संलिप्तता की जाँच की माँग की थी.

जीवन श्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड दोनों कम्पनी के Director उपमुख्यमंत्री के साले और दामाद शामिल है. इन दोनों कंपनियों को 48 करोड़ और 3 करोड 60 लाख का काम दिया गया है. कंपनियों के रजिस्टर्ड पते हैं पर कंपनी का कोई साइनबोर्ड नहीं है. सब हवा हवाई है.

ठेका देने से पहले इन कंपनियों को किसी भी तरह के सरकारी काम करने को लेकर कोई अनुभव नहीं है. पीडब्लूडी नियमावली के अनुसार ऐसी किसी अनुभवहीन कंपनी को काम नहीं दिया जा सकता है.

उपमुख्यमंत्री के साले की कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड के वर्ष 2019 और 2020 की ऑडिट रिपोर्ट में ही कहीं भी किसी भी तरह के सरकारी कामकाज करने का जिक्र नहीं है. जब कंपनी को सरकारी काम करने का अनुभव ही नहीं है तो फिर किस आधार पर फ़र्ज़ी कंपनी को सरकारी ठेका दिया गया? यह महत्वपूर्ण सवाल है.

मुख्यमंत्री “ज़ीरो टॉलरन्स” की केवल मुँह ज़ुबानी बात करते है लेकिन दस्तावेज़ों में भ्रष्टाचारियों को “Hundred पर्सेंट Acceptance”, “Hundred पर्सेंट Protection”, “Hundred पर्सेंट Participation, “Hundred पर्सेंट Association” और “Hundred पर्सेंट Affiliation” देते हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ’हर घर नल का जल’ योजना तो सिर्फ़ दिखावा है। मुख्यमंत्री की इस महात्वाकांक्षी योजना का असल उद्देश्य और वास्तविक नाम तो “हर जेडीयू-बीजेपी नेता के घर भ्रष्टाचार का धन” है.

बिहार में इनके कार्यकाल में हुए 70 से अधिक घोटाले इस बात को साबित करते है. मुख्यमंत्री दिखावे के लिए “भ्रष्टाचार पर शुचिता” की बात करते है लेकिन असलियत में वो “भ्रष्टाचार पर सुविधा” के पैरोकार है. 70 घोटाले इस बात की साक्ष्य सहित पुष्टि करते है.

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