58वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न

सोनभद्र: काव्य साहित्य के इन्द्रधनुषी छटाओं के मध्य मधुरिमा साहित्य गोष्ठी के मेजबानी में 58 वाँ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न हुआ. यह कवि सम्मेलन मां वाग्देवी के वरद पुत्र हिन्दी साहित्य के शिखर संस्था के निदेशक पं० अजय शेखर के संरक्षण और वरिष्ठ साहित्यकार पं० पारस नाथ मिश्र की अध्यक्षता में देश के जाने- माने कवि, शायर व गीतकारों के शानदार प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न हुआ.

जिसका सफल संचालन ओज के जाने- माने कवि कमलेश मिश्र “राजहंस” ने किया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला विकास अधिकारी राम बाबू त्रिपाठी व नगर पालिका परिषद राबर्ट्सगंज के अध्यक्ष वीरेन्द्र जायसवाल “विंदु” की गरिमामयी उपस्थिति में देश के सुविख्यात गीतकार जगदीश पंथी द्वारा वाणी वंदना असरन सरन देवइया हे मइया मोरी की भक्तिमय प्रस्तुति से शुभारम्भ किया गया.

कवि दिलीप सिंह दीपक ने है अंधेरा इस क्षणिक जीवन मे क्या है तेरा, क्या है मेरा सुनाया वहीं हास्य के कवि जयराम सोनी ने चिकनी- चुपड़ी बात सुनउली आग लगउली पानी मे सुनाकर श्रोताओं को जमकर हंसाया तो रेनुसागर से चलकर आये अभय कुमार मिश्र ने हिन्दी की महत्ता को अपने छंद से अलंकृत करते हुए चन्दन धूप कपूर की गंध सी, प्यार लुटाती हमारी ये हिन्दी सुनाकर माहौल को नया रंग दिया.

कवि प्रभात सिंह चन्देल ने राष्ट्रीय सद्भावना और देशभक्ति से ओत- प्रोत रचना- जहां बहती हो अमन की गंगा खुशियों की सौगात लिए, उस हिन्दुस्तान में मैंने मेरा भारत महान पढा सुनाकर तालियां बटोरी तो वहीं दिवाकर द्विवेदी मेघ “विजयगढ़ी” ने एक ही उदाहरण देने में बीत जाए उमर सारी सुनाया तो वहीं अभिनव आकाश मिश्र ने किसानों पर अपनी समसामयिक रचना किसान कब फार्च्यूनर गाड़ी लाएगा सुनाकर व्यवस्था पर चोट किया.

वाराणसी से चलकर आये धर्म प्रकाश मिश्र ने नेता को प्रणाम अभिनेता को प्रणाम देश को बेचने वाले राजनेता को प्रणाम सुनाकर ऊंचाई प्रदान की और श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया. नवोदित कवियित्री जयश्री राय ने जिसके दिल का टुकड़ा गोलियों से रंग जाता है सुनाया तो वही व्यंग के कवि सुशील राही ने वेद के ऋचाओं की पवित्रता मिले तुम्हे तो गजलकार अशोक तिवारी ने मसले भूख के कुछ दूर हो जाने दो सुनाकर ब्यवस्था पर तीक्ष्ण प्रहार किया.

मिल्लत की बात करते हुए कवि प्रदुम्न त्रिपाठी ने सबकी आंखों का मर रहा पानी, बचाओ इसको उतर रहा पानी की प्रस्तुति से श्रोताओं को बदलते परिवेश से रूबरू कराया तो नजर मोहम्मद “नजर” ने नजर कोरोना की ये दवाई मिला है कितना मस्ताना, मन्दिर, मस्जिद बन्द रहेगी खुला रहेगा मयखाना सुनाया तो महिला शसक्तीकरण की बात करते हुए कौशल्या देवी ने मैं नारी हूँ अबला नही लड़ सकती हूं तूफान से सुनाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.

दिल्ली से चलकर आये सोनांचल के मशहूर शायर हसन सोनभद्री ने हवाओं में घुली खुशबू , हवाओं में वो मस्ती है तथा किसी मछली को पानी से निकालो, मेरी चाहत का अंदाजा लगालो की प्रस्तुति से आयोजन को ऊंचाई प्रदान की.

सोनभद्र के चिन्तनशील गीतकार ईश्वर विरागी ने रात दिन आएंगे औ गुजर जाएंगे, गीत अंधेरो पे फिर से मुखर जाएंगे, आप गर आदमी बन सुधर जाएंगे कि शानदार प्रस्तुति से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया तो अमरनाथ अजेय ने कामना हित यज्ञ के जलवायु मत दूषित बना सुनाया तो वाराणसी से चलकर आये सलीम शिवालवी ने गजबै राजा विकास होत हौ बिन पढले सब पास होत हौ सुनाकर श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया.

जाने माने गीतकार मनमोहन मिश्र ने करेगा क्या कोई है हम तलाशो, कहीं हो न जाये ना वो कम तलाशो सुनाकर अपनी प्रस्तुति दी। मंच का संचालन कर रहे ओज के दमदार कवि कमलेश “राजहंस” ने बहुत दिनों पहले मेरे गांव में था वट वृक्ष महान के साथ एक बाद एक प्रस्तुतियों से श्रोताओं को देश भक्ति के चासनी में डुबोकर गोते लगाने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद आयोजन की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार व कवि पारसनाथ मिश्र द्वारा उतर रहे हैं आसमान पर गिद्ध बहुत तेजी से, देखे होंगे धरती पर ये लाश की प्रस्तुति के साथ आयोजन अपनी ऐतिहासिकता को समेटे हुए उत्कर्ष पर पहुंचकर सम्पन्न हुआ.

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