महामारी का रूप ले रहा कोरोना संक्रमण- अखिलेश यादव

लख़नऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण महामारी का रूप ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सितम्बर आते-आते उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों का रिकार्ड बन जाएगा। हर दिन हजारों मरीज मिल रहे हैं। भाजपा सरकार इस संकट से निबटने में अक्षम और असहाय दिखने लगी है। मुख्यमंत्री जी बैठकें तो बहुत करते दिखतें हैं पर नतीजा सिफर ही रहता है। जबानी जमा खर्च की सरकार है भाजपा की। इसने न कुछ किया, ना कुछ करना है, ना ही कुछ करेंगे।
पता नहीं मुख्यमंत्री जी किस अर्थशास्त्र के ज्ञाता हैं कि वे एक माह में कोरोना संकट के बावजूद अर्थव्यवस्था पहले जैसी होने का दावा कर रहे हैं। उनके दावे में दम नहीं है। अधिकारी हेराफेरी में माहिर हैं, वे आंकड़ों में सुधार का दिखावा कर रहे हैं और मुख्यमंत्री जी दूसरों को गुमराह कर रहे हैं। सरकार के पास बढ़ती बीमारी के रोकथाम और इलाज की न तो कोई प्रभावी तैयारी है और नहीं कोई समुचित व्यवस्था है।
सच तो यह है कि प्रदेश के अधिकारी अपने दायित्वों के निर्वहन में भरपूर लापरवाही बरत रहे हैं। मुख्यमंत्री जी के अधिकारी किसी न किसी बहाने से खुद भी बचना चाहते है ताकि कोविड-19 कोरोना पाॅजिटिव का बहाना बनाया जा सके। सच बताने से परहेज करने की वजह से ही प्रदेश में बीमारी बेकाबू हो रही है। स्थिति का सही आंकलन न होने से ही संकट बढ़ रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
भाजपा सरकार की अकर्मण्यता से कोरोना के पाॅजिटिव पाए गए मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं। उन्हें न एम्बूलेंस सेवा मिल रही है और नहीं अस्पतालों में भर्ती हो रही है। डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ भी कम है। लखनऊ के अस्पतालों की व्यवस्थाओं के बारे में तमाम शिकायते हैं। मरीजों को लौटाया जा रहा है। अस्पतालों में साफ सफाई नहीं है। लखनऊ में ही लोहिया अस्पताल के बाहर पड़े कोरोना मरीजों को कोई पूछने वाला नहीं है।
मुख्यमंत्री जी के गृह जनपद गोरखपुर में अस्पतालों के वार्ड में पानी भरा है। बरेली में अस्पताल की छत से एक वार्ड में लगातार पानी गिरता रहा। गम्भीर मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भेजने की कवायद में कई की जानें एम्बूलेंस या अस्पताल के गेट पर ही चली गई है। सही समय पर इलाज मिले तभी मरीज की जान बच सकती है।
आज प्रदेश में जो जनता कराह रही है और इलाज के लिए भटक रही है उसका मूल कारण यह है कि चार वर्ष होने को है लेकिन भाजपा सरकार ने चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ किया ही नहीं। समाजवादी सरकार ने जितने मेडिकल काॅलेज और अस्पताल बनाए थे उतने ही आज भी रह गए हैं। सरकार चाहती तो 5 महीनों में हजार बेड का एक कोविड-19 अस्पताल बना सकती थी, लेकिन इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया।
अब जबकि मरीजों की संख्या के मुकाबले अधिगृहीत होटल भी कम पड़ रहे हैं तब भाजपा सरकार को होम क्वारेंटाइन की बात मानने में क्या दिक्कत है? समाजवादी पार्टी ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग की मांग भी करती रही है। क्या इसलिए सरकार यह बात नहीं मान रही है कि इसकी मांग समाजवादी पार्टी ने उठाई है। यह तो राजनीतिक द्वेष भावना और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
सरकार का ध्यान इस पर होना चाहिए कि इलाज के अभाव में किसी की मौत न हो। भूख से कोई मरे नहीं। कानून व्यवस्था चुस्त दुरूस्त हो। कोरोना की बीमारी का समय से, सही ढंग से, सही हाथों से और स्वच्छ वातावरण में इलाज की सुविधा हो, इसे प्राथमिकता से अपनाना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

[srs_total_visitors]