पढ़ाई के साथ स्केचिंग का शौक, नामचीन हस्तियों का बनाया स्केच

सोनभद्र. बीएससी की पढ़ाई करने वाली श्रुति सिंह को पढ़ाई के साथ ही साथ स्केचिंग और पेंटिंग बनाने का शौक है जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज के ब्रम्हनगर की रहने वाली श्रुति आज एक से बढ़कर एक स्केचिंग और पेंटिंग बनाती है जिसको देखकर लगे शायद इसे हाथ से बनाना संभव नहीं है श्रुति सिंह बताती हैं कि उन्हें स्केचिंग और पेंटिंग बनाने का शौक है इसमें उन्हें मजा आता है उनका प्रोफेशन नहीं है बल्कि यह उनका शौक है सोनभद्र जैसे पिछड़े जनपद में होने के बावजूद वह अपनी प्रैक्टिस व मोबाइल के माध्यम से स्केचिंग और पेंटिंग बना रही हैं.

प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित सोनभद्र जहां की कोई यूनिवर्सिटी नहीं है उच्च शिक्षा के लिए कोई विशेष कॉलेज भी नहीं ज्यादातर यहां के लोग बाहर पढ़ाई करने जाते हैं वही श्रुति सिंह जो कि बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा है कम मौके मिलने के बावजूद अपनी लगन व मेहनत की वजह से आज शानदार स्केचिंग वह पेंटिंग बनाते हैं वहीं पेंटिंग को अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर भी डालती हैं जहां पर उनको हजारों लाइक और शेयर भी मिलते हैं सोनभद्र जैसे छोटे जिले में स्केचिंग और पेंटिंग का स्कोर कम है यहां पर एग्जीबिशन आदि भी न के बराबर लगते हैं तो लगते हैं तो बहुत छोटे स्तर पर जिससे आर्ट के क्षेत्र में काम करने वालों का काम वह हुनर कहीं ना कहीं दब जाता है लेकिन उसके बावजूद लगातार श्रुति अपने शौक की वजह से स्केचिंग व पेंटिंग बना रही हैं.

श्रुति सिंह बताती है कि बचपन से ही स्केचिंग पेंटिंग और आठ में रुचि है उनका कहना है कि मुझे इसका शौक है जब मुझे पता लगा कि आप कुछ होता है तो मैंने अपनी टीचर से इसको शुरुआत में सीखा उसके बाद मुझे कला में बहुत रूचि आने लगी यह मेरा प्रोफेशन नहीं है यह मेरा शौक है मैं शौक के लिए यह करती हूं अभी तक मैंने एपीजे अब्दुल कलाम महात्मा गांधी नरेंद्र मोदी भगत सिंह विराट कोहली सहित कई अन्य नामी-गिरामी लोगों का स्केच बनाया है आगे मैं इसे बनाना चाहती हूं मैं साबित करना चाहती हूं कि कला के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं है इसके लिए परेशान होना नहीं चाहिए सोनभद्र जैसे जनपद में अपॉर्चुनिटी कम मिलती है कोई कंपटीशन एग्जीबिशन हाथ जल्दी नहीं होता अगर होता है तो इतने छोटे पैमाने पर होता है कि कुछ लोगों में ही रहकर समाप्त हो जाता है यह सीखने का माध्यम नहीं के बराबर है कि जहां हम सीख पाए यहां पर समस्या यह है कि अगर कोई सीखना भी चाहे तो नहीं सीख पाए मैंने खुद की मेहनत प्रैक्टिस और मोबाइल से देखकर आर्ट बनाना सिखा है.

वही श्रुति के पिता सुधीर सिंह का कहना है कि कला के क्षेत्र में इसका शुरू से रुझान रहा जब स्कूल में एडमिशन हुआ तभी से यह कला बना रही है आठवीं में पढ़ाई के दौरान एक टीचर ने कहा कि आपकी बेटी बहुत अच्छा ड्राइंग बनाती है पेंटिंग बनाती है आप इसे कला की तरफ भेजिए तब हमने कहा कि हमारा विचार है कि विज्ञान की पढ़ाई करें लेकिन टीचर ने इसको आर्ट सिखाएं और आज आर्ट बनाती है और विज्ञान की पढ़ाई कर रही है आर्ट के लिए यहां पर बहुत समस्या है हाई स्कूल तक तो टीचर को सिखाने वाले मिल जाते हैं लेकिन इंटर कॉलेज में यहां पर आर्ट उपलब्ध नहीं है जिसकी वजह से सीखने के लिए भी काफी दिक्कत होती है.

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